tag:blogger.com,1999:blog-5400265381676136577.post4748622226891426880..comments2019-05-03T03:32:07.402-07:00Comments on ढ़पली: संसार के महा प्रश्नअनुराग मिश्रhttp://www.blogger.com/profile/13543713914812980880noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5400265381676136577.post-4156389419191302752008-12-08T18:59:00.000-08:002008-12-08T18:59:00.000-08:00बहुत गूढ़ प्रश्न हैं - अब तक शायद हमारा मस्तिष्क इन...बहुत गूढ़ प्रश्न हैं - अब तक शायद हमारा मस्तिष्क इनका सही सटीक उत्तर पाने में सक्षम नहीं है.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5400265381676136577.post-52638292052588377812008-08-14T10:21:00.000-07:002008-08-14T10:21:00.000-07:00great is chintan ko jaari rakhen aur jab-jab jawaa...great is chintan ko jaari rakhen aur jab-jab jawaab milte rahen, hame bhi isi tarah bataate rahiyega.poonam bisht negihttps://www.blogger.com/profile/09683120271993294921noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5400265381676136577.post-88543680326933521032008-07-31T06:56:00.000-07:002008-07-31T06:56:00.000-07:00"इन बड़े-बड़े प्रश्नों को उठाना, उन पर चिंतन करना,..."इन बड़े-बड़े प्रश्नों को उठाना, उन पर चिंतन करना, उनका धार्मिक व वेग्यनिक रूप से अध्ययन करना और इन सवालों का उत्तर प्राप्त करना भी मेरा एक कार्य है."<BR/><BR/>आपने बहुत अच्छा कार्य चुना है. अपने कार्य की पहली किश्त आपने कर दी है. प्रश्न बड़े है. और 'बड़े' प्रश्न हैं. लेकिन मुझे लगता है आपने पहली किश्त में कुछ ज्यादा कार्य कर दिया है. कर्मठता की पराकाष्ठा कहेंगे हम इसे. इस देश को ऐसे ही कर्मठ व्यक्तियों की ज़रूरत है. पत्रकार जब दार्शनिक बन जाए तो लोकतंत्र के 'जम' जाने की संभावना प्रगाढ़ हो जाती है.Anonymousnoreply@blogger.com