
संभवतया हम मे से कुछ ही मनुष्य होंगें जिन्होनें गंभीरता से कभी इन प्रश्नों को ना सोचा
हो, लेकिन शायद ही कभी किसी को अपने इन सवालों का सही जबाब मिला हो.
1. सबसे बड़ा सवाल क्या ईश्वर का कोई अस्तित्व है ?या केवल जड़ तत्व और उर्जा(इनर्जी) के अलावा कुछ नहीँ है ?
2. क्या ये विश्व विचारों का विश्व है या वा केवल जड़ पदार्थ से ही बना है ? ये जड़ पदार्थ भी क्या किसी और पदार्थ से बना है ?
3. ये विश्व यांत्रिक नियमों से चल रहा है या इसमें कोई योजना , और उद्देश्य छिपा है ?
4. क्या हम विश्व के संबंध मे किसी धार्मिक मत को आज भी पूरे विश्वास के साथ मान सकते हैं ?
5. क्या मेरा मन जो इस समय ये वेचारिक कार्य कर रहा है वा भी एक जड़ तत्व से अलग कोई वस्तु है या फिर कुछ उर्जा के परमाणुओं का एक समूह है ?
6. में जीवित हूँ तो ये जीवन क्या है ? एक दिन में मर जाउँगा, तो ये म्र्त्यु क्या है?में मर कर यहाँ से फि कहाँ जाता हूँ?
7. निद्रा मे दिखाई देने वाले स्वप्न क्या है ये जीवन सत्य है या निद्रा मे दिखाई देने वाला जीवन ? क्या स्वपनों का सत्यता से अथवा पिछ्ले जन्म से कोई संबंध होता है ?
8. क्या ये सत्य है कि प्राणी बार-बार जन्म लेता है क्या जिंदगी भी एक स्वप्न ही है ?
9. आत्मा क्या है ?
10. रोज में अनेक कार्य करता हूँ उनमें कुछ उचित होते है तो कुछ अनुचित, इन कार्यो मे उचित क्या है और अनुचित क्या है ?
11. पाप और पुण्य की परिभाषा क्या है ?
12. क्या धन, नाम और अपने सुख के लिए प्रयत्न करना ही जीवन के उच्च मूल्य हैं या इनके अतिरिक्त भी कुछ और मूल्य हैं जो इनसे भी उच्च्तर हों जेसे- शांति, सरलता, आस्था, प्रेम, कला का आनंद और ग्यान विग्यान का अनुशीलन ?
13. प्रकृति और कला की अनेक सुंदर कृतियाँ हमारे चारों तरफ़ हैं उनमें कुछ सुंदर हैं तो कुछ कुरूप, तो ये सुंदरता क्या है ?
14. वह क्या है जिसका आनंद हम संगीत मे लेते हैं या जिसकी प्रशंसा हम कलाकारों की कलाकृतियों मे करते हैं ?
15. में सूर्यास्त की, बादलों से आँख मिचौंनी खेलते चंद्रमा की, बागों मे फूलों की एवं इसके अलावा भी अनेक चीज़ों की प्रशंसाकरता हूँ, फिर सोचता हूँ यदि इन्हें देखने के लिए आँख, सुनने के लिए कान, सुगंध के लिए नाक, स्वाद के लिए जिव्हा व इनसब को महसूस करने के लिए इनके पिछे एक स्वस्थ मस्तिष्क ना होता तो भी क्या मुझे ये प्रकृति इतनी ही सुंदर लगती ?
16. में हर तरफ पद और शक्ति पाने के लिए लोगों को अच्छे - बुरे हर प्रकार के प्रयास करते हुए देखता हूँ और सोचता हूँ कि इसका अंतिम परिणाम क्या है?
अंत मे में ये ही सोचता हूँ कि संसार मे सर्वोत्तम क्या है ?
इन बड़े-बड़े प्रश्नों को उठाना, उन पर चिंतन करना, उनका धार्मिक व वेग्यनिक रूप से अध्ययन करना और इन सवालों का उत्तर प्राप्त करना भी मेरा एक कार्य है
3 comments:
"इन बड़े-बड़े प्रश्नों को उठाना, उन पर चिंतन करना, उनका धार्मिक व वेग्यनिक रूप से अध्ययन करना और इन सवालों का उत्तर प्राप्त करना भी मेरा एक कार्य है."
आपने बहुत अच्छा कार्य चुना है. अपने कार्य की पहली किश्त आपने कर दी है. प्रश्न बड़े है. और 'बड़े' प्रश्न हैं. लेकिन मुझे लगता है आपने पहली किश्त में कुछ ज्यादा कार्य कर दिया है. कर्मठता की पराकाष्ठा कहेंगे हम इसे. इस देश को ऐसे ही कर्मठ व्यक्तियों की ज़रूरत है. पत्रकार जब दार्शनिक बन जाए तो लोकतंत्र के 'जम' जाने की संभावना प्रगाढ़ हो जाती है.
great is chintan ko jaari rakhen aur jab-jab jawaab milte rahen, hame bhi isi tarah bataate rahiyega.
बहुत गूढ़ प्रश्न हैं - अब तक शायद हमारा मस्तिष्क इनका सही सटीक उत्तर पाने में सक्षम नहीं है.
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