Friday, December 7, 2007

मैं पत्रकार बन गया

मैंने कभी पैसा कमाने की कोशिश नहीं की
क्योंकि मुझे पता है की सिक्कों की खनखनाहट आदमी को बहरा कर देती है
मैंने कभी दोस्त बनाने की कोशिश नहीं की
क्योंकि मुझे पता है कि दोस्त भावनाएं पैदा कर देते है
मैंने कभी रिश्ते बनाने की कोशिश नहीं की
क्योंकि मुझे पता है कि रिश्ते उसूल तोड़ देते है
मैंने कभी हवा के साथ चलने की कोशिश नहीं की
क्योंकि मुझे पता है कि हवाएं कुछ दूर पर दिशाएं बदल देती है
पैसा, दोस्त,रिश्तों, हवाओं से में बच गया
पर समय का दस्तूर देखिए मैं पत्रकार बन गया
अनुराग

5 comments:

addy said...

बिल्कुल सही कहा अनुराग

shashwati said...

आपहलॆ पोस्ट से लेकर इस पोस्ट तक प्रगती काफी अच्छी है. वैसे बधाई हो इतनी सावधानी बरतने के बाद भी तुम कलम के सिपही बन ही गये. अब पैसे भी कमाओ और नाम भी.

Vaibhav said...

बहुत बहुत बहुत बहुत अच्छी कल्पना है, कविता एक प्रोफ़ेसनल सोच को दर्शाती है

PUNAM said...

बेटे अभी तो पत्रकार बने हो आगे आगे देखो होता है क्या

Unknown said...

bahut badiya