Sunday, December 16, 2007

बेरोजगार

देवेश मेरे दोस्त है, वे ङिजनी और बच्चों लिये स्क्रिप्ट लिखते है, जर्मन , चायनीज फिल्म महोत्सव में उनकी शोर्ट फिल्में दिखाई जा चुकी है। इंटरनेशनल फिल्म महोत्सव मेंविधवाओं के ऊपर बनीशोर्ट फिल्म के लिए उन्हें पुरस्कार मिला है। उनकी ये कविता आप भी पढिये
बेरोजगार किसी को मत पुकारो
बेरोजगार किसी का नाम नहीं होता
बेह्तासा भागती जिंदगी में
पटरी से गिरकर रूक जाना
चौराहों पर थककर टिक जाना
किसी नौजवान का अरमान नही होता
दोपहरौं से शाम तलक
अखबार को पढना
रात रात भर जागकर
जीवन के ताने बाने में
खुशियों के ख्याब सजोना
फिर सुबह कि दस्तक पर
उमींदों के बस्ते लेकर
हर मंदिर पर हाथ जोङकर
मंजिल की रहूँ पर चलते जाना
शायद बेरोजगारों को कम नही होता
एक लफ्ज उन्हें हम देकर नया
नाकामी की सजा उतारें
गुमनामी से बचा लो उसे
बेरोजगार किसी को मत...........

4 comments:

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया मिश्रा जी धन्यवाद

विनीत उत्पल said...

keep it up, anurag

विनीत उत्पल said...

kuch aggregator jaise narad, chhithagagt parpar apna blog rajister kara do.

rahulxpert said...

Plz convert it into Krutidev10, hindi font.

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