Monday, December 3, 2007

मजबूरी


कफस में रहकर खुला आसमान भूल गया हूँ, इस बेजान शहर में अपनी उडान भूल गया हूँ।

3 comments:

shashwati said...
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ब्रजेश said...

कौन देश मे आया सधो
यह तो अजब नगरिया
इसमे पग-पग फैला जाल
पग-पग पर स्स्य्याद दिखे हैं
कन्ठी मला डाल
दिल में हूक उठे
है मनवा बौराया
साधो! कौन देस मै आया
brajesh

PUNAM said...

अपनो से दूर बेगानो की दुनिया मे क्या ढूढ रह है ये दिल